Wednesday 24 November 2010

अखबारों की नजर में नितीश की जीत

दैनिक जागरण के अनुसार
बिहार में विपक्ष की बत्ती गुल
पटना बदलाव के लिए कमर कस चुके बिहार के मतदाताओं ने जात-पांत की दीवारों को तोड़कर सुशासन और विकास के पक्ष में तीन चौथाई बहुमत से नीतीश कुमार को पांच साल और शासन करने का अवसर दे दिया। विकास के लिए दिए गए जनादेश की आंधी ने लालू-पासवान के राजद-लोजपा गठबंधन का सफाया करते हुए कांग्रेस की उम्मीदों पर भी कसकर पानी फेरा। हालत यह है कि कोई विपक्षी दल नेता विपक्ष का दर्जा प्राप्त करने की हैसियत में नहीं है, क्योंकि किसी भी विरोधी दल को इसके लिए न्यूनतम 10 प्रतिशत यानी 25 सीटें भी नहीं मिली हैं। हां, राजद-लोजपा मिलकर जरूर इस आंकड़े को छू पाए हैं। बिहार विस चुनाव के इतिहास में यह तीसरा मौका है जब किसी पार्टी या गठबंधन को तीन चौथाई सीट हासिल हुई हैं। नई सरकार के मुखिया के तौर पर नीतीश शुक्रवार को ढाई बजे शपथ ग्रहण करेंगे। बुधवार को मतगणना के बाद 243 सदस्यीय विधानसभा में राजग को 206 सीटें मिली हैं, जबकि राजद गठबंधन को महज 25 स्थानों पर ही सफलता मिली है। इनमें 22 राजद को और 3 लोजपा की हैं। कांग्रेस को भी चार सीटें मिली हैं। वामदल को एक व अन्य को सात सीटें हासिल हुई हैं। जदयू के मुकाबले भाजपा को कहीं अधिक सफलता मिली है। जहां जद यू को 115 वहीं भाजपा को 91 सीटें मिली हैं। 2005 में जदयू की 88 और भाजपा की 55 सीटें थीं। जबकि राजद को 55, लोजपा को 10 और कांग्रेस को 9 सीटें मिली थीं। इस बार सपा, बसपा, माकपा, राकांपा सहित कई दलों का खाता भी नहीं खुला। लालू यादव का कोई परिजन विधानसभा में नजर नहीं आएगा, क्योंकि राबड़ी देवी दोनों स्थानों पर खेत रही हैं और उनके बागी साले एवं कांग्रेस प्रत्याशी अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु चुनाव हार गए हैं। निर्दलीय रूप के चुनाव लड़ने वाले उनके दूसरे साले सुभाष भी हार गए हैं। रामविलास पासवान के भी दोनों भाई और दोनों दामाद ने हार का स्वाद चखा है। लोजपा विधायक दल के नेता महेश्र्वर सिंह हरसिद्धि में हारे हैं। पराजित होने वाले दिग्गज नेताओं की एक लंबी सूची है। इस सूची में नीतीश सरकार के चार मंत्री रामनाथ ठाकुर समस्तीपुर, रामानंद सिंह परबत्ता, श्रीभगवान सिंह कुशवाहा जगदीशपुर व अवधेश नारायण सिंह डिहरी भी हैं। प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष चौधरी महबूब अली कैसर व कांग्रेस विधायक दल के नेता डा.अशोक कुमार भी हार गए हैं। सत्तारूढ़ राजग गठबंधन के दोनों घटक दल जदयू और भाजपा विधायक दल की गुरुवार को दोपहर अलग-अलग बैठकों में नीतीश कुमार और सुशील कुमार मोदी को अपने-अपने दल का नेता चुनाव जाएगा और इसके तुरंत बाद राजग विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को नेता चुनने की औपचारिकता पूरी की जाएगी। शुक्रवार 26 नवंबर को दोपहर बाद 2.30 बजे गांधी मैदान में नीतीश कुमार और उनके सहयोगियों को शपथ दिलाई जाएगी।

ऐतिहासिक होंगे आगामी पांच साल : नीतीश कुमार
पटना चुनावों में मिले अभूतपूर्व जनादेश के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उनके पास कोई जादू की छड़ी नहीं ,लेकिन लोगों का विश्वास जरूर है। लोगों के विश्वास और अपनी इच्छाशक्ति के बल पर ही वह कह रहे हैं कि बिहार के लिए आने वाले वाले पांच साल एतिहासिक होंगे। मैं तो सीटों की संख्या के बारे में कभी सोचता ही नहीं था। पर मैं जो जनादेश देख रहा हूं उससे अभिभूत हूं। अब तो मेरे ऊपर और बड़ी जिम्मेदारी आ गई है। जिस तरह से विश्वास मिला है उस पर काम करना होगा। राजभवन से इस्तीफा देकर लौटने के कुछ देर बाद बुधवार को अपराह्न दो बजे नीतीश कुमार मुख्यमंत्री आवास के बड़े वाले लान में संवाददाताओं से मुखातिब थे। एनडीए के जबर्दस्त जनादेश हासिल करने के बाद नीतीश कुमार ने अपनी पहली प्रेस वार्ता में कहा कि चुनाव में बिहार ने नई कहानी लिख दी। यह बात स्थापित हुई कि काम पर ही वोट मिलता है। बिहार के बाहर भी यह बात जाएगी। मैं भगवान से सिर्फ यही प्रार्थना करूंगा कि लोगों की इच्छाशक्ति के अनुरूप काम कर सकूं। मुख्यमंत्री ने कहा चुनाव में बिहार के लोगों के सामने यह प्रश्न था कि वे आगे बढ़ना चाहते हैं या फिर पुराने वाले अंधकार के दिनांें में लौटेंगे। लोगों ने फैसला लिया कि वे आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं लोगों को यही वचन देता हूं कि जिस प्रकार से हमने पांच साल मेहनत की कई मायनों में अब उससे ज्यादा करना पड़ेगा। मैं मेहनत करने से पीछे नहीं हटूंगा और बगैर विचलित हुए लोगों की खिदमत करूंगा। प्रदेश के लोग बिहार को तरक्की के रास्ते पर देखना चाहते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा जिस तरह से लोगों ने उत्साह का परिचय दिया उसने पिछले सारे चुनावों को पीछे छोड़ दिया है। महिलाएं बड़ी संख्या में वोट डालने निकलीं। युवाओं मे जबर्दस्त उत्साह दिखा। हमें इस उत्साह को रचनात्मक रूप देना है। अभी तो बिहार में काम शुरू हुआ है। बहुत कुछ बाकी है। लोगों ने भरपूर जनादेश दे दिया है। स्पष्ट हो गया है कि काम तो करना ही पड़ेगा। बात बनाने का दौर अब खत्म हो गया। जिन नेताओं ने जाति के आधार पर अपना समीकरण बनाया उन्हें निराशा हाथ लगी। बिहार अब जातीय समीकरण के दायरे से आगे निकल चुका है। नई पीढ़ी अपनी आकांक्षा की बात समझती है। अब इस बात की प्रतिस्पद्र्धा होगी कि कौन ज्यादा काम करता है। दरअसल कई बार यह होता है कि बहुत लोग दीवार पर लिखी इबारत को देखना नहीं चाहते। असल उन लोगों के लिए यह काफी डरावना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों ने जो विश्वास दिया है उस पर मैं खरा उतरने का प्रयास करूंगा।

लालू-पासवान ने परिणाम को रहस्यमय बताया
पटना राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का दरवाजा बुधवार को दोपहर तीन बजे मीडिया के लिए खोल दिया गया। उनके आवास में पहुंचे नेता व कार्यकर्ताओं के चेहरे पर मायूसी छायी हुई थी। लालू ने लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामविलास पासवान के साथ संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि रहस्यमय चुनाव परिणाम व तथाकथित जनादेश का वह स्वागत करते हैं। इन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अब जनता से किए गए वादों को पूरा करें। हम उनका सहयोग करेंगे। लालू ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में नई सरकार को बधाई देते हुए कहा कि हम बिहार के विकास व सम्मान के लिए अपना पूरा जीवन दान दे चुके हैं। चुनाव को लेकर किसी के प्रति कोई नफरत नहीं है। लालू ने कहा कि चुनाव परिणाम ऐसा होगा इसका कभी अंदाजा नहीं था। यह तो 1977 के परिणाम को भी मात दे दिया जब कांग्रेस का सफाया हो गया था। लालू ने कहा कि वह पार्टी प्रत्याशियों व कार्यकर्ताओं की बैठक बुलाकर हार के कारणों की समीक्षा करेंगे। इसके लिए विभिन्न क्षेत्रों में भी जाएंगे। इसको लेकर वह हतोत्साहित नहीं हैं। लालू ने कहा कि जादुई रिजल्ट का रहस्य अधिक दिनों तक छिपा नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि जनता ने जिस लायक भी रखा है। हम संतोष कर उसकी सेवा करेंगे। प्रेस कांफ्रेंस में लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने परिणाम पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि प्रत्याशियों को भी समझ में नहीं आ रहा है कि किस प्रकार हार हो गई। अलौली में तो कोई भी देख कर बता सकता था कि हार की कोई संभावना नहीं बनती थी। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने जो छल किया उसको वह जनता को या तो समझा नहीं सके या जनता समझ नहीं सकी। पासवान ने कहा कि जिस सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर दूसरे राज्य के एक मुख्यमंत्री को हटाया गया उसकी ही रिपोर्ट के आधार पर बिहार में भी मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए था,लेकिन चुनाव में बहुमत प्राप्त हो गया। उन्होंने कहा कि उनका गठबंधन विपक्ष में बैठकर विभिन्न मुद्दों को उठाने का काम करेगा। पासवान ने कहा कि 1977 में जिस जनता ने कांग्रेस का सफाया कर दिया था वही जनता दो साल बाद ही इंदिरा गांधी को सत्ता में वापस ले आई थी। इसलिए इस बहुमत से उनको घबराहट नहीं है।

बिहार में औंधे मुंह कांग्रेस 
पटना आम आदमी तक पहुंच बनाने की कांग्रेस की कोशिश परवान नहीं चढ सकी। कांग्रेस ने केंद्रीय योजनाओं में राज्य की बेहतरी के लिए दी जाने वाली धनराशि का श्रेय लूटने के लिए नीतीश सरकार को जनता की अदालत में घेरने की अपने तई भरपूर कोशिश की,मगर एसकी यही कोशिश उलटी पड गई। नतीजतन राज्य की सत्ता की चाबी हथियाने के कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी के अरमान धरे रह गए। समेकित विकास के एजेंडे के लिए जनता ने राजग को बेहतर माध्यम माना इसलिए उसे एक मौका और दे दिया। राहुल की पहलकदमी, आम आदमी में घुल- मिल जाने की कोशिश,मीडिया में सुर्खियां बटोरना और व्यक्तित्व का जादू विधानसभा चुनाव में बेअसर रहा। राहुल के इस जुमले कि बिहारी चमक रहा है बिहार नहीं को राज्य के मतदाताओं ने नकार दिया। पूरे विधानसभा चुनाव में राजग के खिलाफ कांग्रेस महासचिव का यह सर्वाधिक आक्रामक बयान रहा। कांग्रेस ने केंद्र की मदद से चल रही कल्याणकारी योजनाओं में कथित लूटपाट और धांधली के लिए राजग सरकार को कठघरे में खड़ा करने की कोशिशों में कोई कोताही नहीं की। राहुल गांधी की जनसभाओं में बार-बार और कड़े रुख में यह मुद्दा छाया रहा,लेकिन चुनाव नतीजे बताते हैं कि लोगों को मुख्यमंत्री की आलोचना रास नहीं आई। दरअसल,राजग के खिलाफ राहुल गांधी के हमले की योजना केंद्रीय मंत्रियों के राज्य के दौरे के साथ ही शुरू हो गई थी। कांग्रेस की रणनीति केंद्रीय योजनाओं के मुद्दे पर नीतीश सरकार को घेरने की थी। इसके लिए उन केंद्रीय मंत्रियों को राज्य का दौरा करने का चुना गया था जिनके मंत्रालयों से विकास की विभिन्न योजनाओं के लिए राज्य में पैसा आता है। पार्टी ने मंत्रियों को निर्देश दिए थे कि वह जनता को मीडिया के जरिए बताएंगे कि उन योजनाओं के क्रियान्वयन में कितनी खामी और पैसे में कितनी लूट है। राजग के खिलाफ इस हमले में कोल लिंकेज, सर्वशिक्षा अभियान, स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री सड़क योजना, ग्रामीण विकास, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना से लेकर राज्य में चल रहे अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रमों तक की बखिया उधेडीं गई। नीतीश सरकार पर आरोप गढा गया कि केंद्रीय योजनाओं व कार्यक्रमों का पैसा आम आदमी तक नहीं पहुंच रहा है। पार्टी मामलों के राज्य प्रभारी, महासचिव मुकुल वासनिक इस अभियान के संचालक व केंद्र बने रहे। राज्य मुख्यालय पर भी धरने हुए और ज्ञापन दिया गया। कांग्रेस की पूरी कोशिश राज्य का समेकित विकास न होना और विकास योजनाओं में खामी को मुद्दा बनाना था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपने तीन दौरों की छह जनसभाओं में केंद्रीया योजनाओं के धन को मुद्दा बनाया। उन्होंने जनता से यही पूछा कि कहां गया केंद्र का पैसा?,लेकिन राज्य के मतदाताओं ने कांग्रेस की सभी कोशिशों को नकार दिया और नीतीश के प्रति विश्र्वास का इजहार कर उन्हें प्रचंड बहुमत से सत्ता सौंप दी।

हिंदुस्तान के नजर में-
नीतीश की आंधी में बुझ गई लालटेन, उड़ गई झोपड़ी
बिहार में विकास की प्रबल जनाकांक्षा ने जाति और धर्म की बाड़ को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को विधानसभा चुनाव में तीन चौथाई बहुमत के साथ पुन: सत्ता सौंप दी। गठबंधन को 206 सीटें प्राप्त हुई हैं जबकि पिछले चुनावों में उसे राज्य की 243 में से 143 सीटें मिली थीं।
लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल और उनके गठबंधन सहयोगी रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी को पहले के 64 की तुलना में आधे से भी कम 25 सीटें मिली हैं। अपना सूपड़ा साफ करने वाले इन चुनाव परिणामों को राजद-लोजपा गठबंधन ने रहस्यमयी बताते हुए संशय खड़ा किया है। राजद को 22 सीटों पर जीत हासिल हुई है। लोजपा को तीन सीटों पर जीत हासिल हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सोनपुर और राघोपुर दोनों सीटों से हार गई हैं।
अकेले चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस की नैया को युवराज राहुल गांधी भी पार नहीं लगा पाए और पार्टी का अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन सामने आया है। कांग्रेस ने महज चार सीटों पर जीत दर्ज की है जबकि पिछले चुनाव में उसे नौ सीटें मिली थीं।
चुनाव परिणाम पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई देने वालों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल हैं। लालू प्रसाद ने नीतीश को बधाई दी पर कहा कि मैं भाजपा को बधाई नहीं दूंगा।

नीतीश कुमार के नेतृत्व में गठबंधन सरकार शुक्रवार को शपथ ग्रहण के साथ अपनी दूसरी पारी शुरू करेगी। राजद-लोजपा गठबंधन के कई धुरंधर चुनावी समर में धराशायी हुए। यहां तक कि पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी सोनपुर और राघोपुर सीट दोनों से हार गईं। राम विलास पासवान के दोनों भाई रामचंद्र पासवान कुशेश्वर स्थान और प्रदेश लोजपा अध्यक्ष पशुपतिनाथ पारस अलौली से चुनाव हार गए। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी महबूब अली कैसर सिमरी बख्तियारपुर से चुनाव हार गए। हारने वाले अन्य प्रदेश अध्यक्षों में देवगौड़ा के जनता दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष ददन यादव डुमरांव और ब्रहमपुर दोनों जगह से पराजित हुए।
     
अंतिम नतीजों के अनुसार सत्तारूढ़ राजग ने विपक्षी दलों को हाशिए पर धकेल दिया और अरसे बाद बिहार विधानसभा में किसी विपक्षी दल को विपक्ष के नेता का वैधानिक पद नहीं मिल पाएगा। इस पद के लिए नियमत: कुल सीटों की संख्या का 10 प्रतिशत सीट जीतना जरूरी है जबकि राजद की लालटेन 22 पर जाकर बुझती नजर आ रही है।

कांग्रेस को भी जोरदार झटका लगा है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, संप्रग और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी एवं महासचिव राहुल गांधी के प्रयासों के बावजूद उसे पिछली बार की नौ सीटों की तुलना में सिर्फ चार सीटों पर ही जीत मिली।
भाकपा को एक सीट पर विजयश्री नसीब हुई जबकि झामुमो को एक सीट तथा अन्य को छह सीटें मिलीं। बिहार के विभाजन के बाद झामुमो ने पहली बार राज्य में खाता खोला है।
चुनावी नतीजों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि मैं इसे अपनी या अपने गठबंधन की जीत के तौर पर नहीं बल्कि बिहार के लोगों की जीत मानता हूं। उन्होंने कहा कि मैं विनम्रतापूर्वक बिहार के लोगों को एक ही वचन देना चाहूंगा कि जिस प्रकार से हमने पांच साल मेहनत की है, उसी प्रकार से या कुछ मायनों में शायद उससे भी ज्यादा मेहनत हम सबको करनी पड़ेगी।
विधानसभा चुनाव में अपने गठबंधन की पराजय को स्वीकार करते हुए लालू प्रसाद ने कहा कि हम जनता के मत को आदर के साथ स्वीकार करते हैं। हमारे मन में किसी के बारे में कोई कटुता नहीं है, लेकिन हम इस जादुई परिणाम के रहस्य का पता लगाएंगे और एक महीने में इसे उजागर करेंगे क्योंकि बिहार में कोई भी रहस्य कभी छिपा नहीं रहता।
लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान ने कहा कि हम नीतीश कुमार सरकार के छल, प्रपंच और भ्रष्टाचार को जनता के सामने रखने में विफल रहे। हम देखेंगे कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार का महल बनाएंगे या विकास का।
विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे 25 मंत्रियों में से 20 को जीत हासिल हुई जबकि पांच मंत्री पराजित हुए हैं। चुनाव जीतने वाले 20 मंत्रियों में 13 जदयू के तथा शेष सात भाजपा के हैं। विधानसभा अध्यक्ष तथा जद यू नेता उदय नारायण चौधरी इमामजंग (अजा) सीट से विजयी रहे।
चुनाव में पराजित होने वाले प्रमुख नेताओं में जेल में बंद बहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद शामिल है। लवली आलमनगर सीट से चुनाव हार गई। कांग्रेस टिकट पर बिहारीगंज सीट से चुनाव लड़ रहीं पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन भी चुनाव हार गई हैं। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राबड़ी देवी के भाई साधु यादव भी चुनाव हार गए हैं।


लालू ने नतीजों को रहस्यमय बताया, पासवान हैरान
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद ने बिहार के चुनावी नतीजों को रहस्यमय बताया है और कहा है कि वह इसकी समीक्षा करवाएंगे जबकि उनके सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष रामविलास पासवान ने इस पर हैरानी जताई है।
पटना में संवाददाताओं से मुखातिब लालू ने कहा, ‘‘चुनावी नतीजे रहस्यमय है। ऐसे नतीजे की हमें उम्मीद नहीं थी। यह परिणाम जादुई है। हम पता करेंगे कि आखिर यह जादू कैसे हुआ। हार-जीत की समीक्षा करेंगे। वैसे भी बिहार में रहस्य ज्यादा दिनों तक नहीं रहता।’’
लालू ने कहा कि वह ना तो किसी पर आरोप लगा रहे हैं और ना हीं किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका जता रहे हैं। लेकिन जो चुनावी नतीजे आए हैं वह रहस्यमय है। हम जहां-जहां हारे हैं वहां हमें ऐसे नतीजों की उम्मीद ही नहीं थी। लालू ने शानदार जीत के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के अगुवा व निवर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बधाई दी।
लालू के संवाददाताओं को सम्बोधित करते हुए पासवान ने चुनावी नतीजों पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा, ‘‘कैसे यह हुआ किसी को भरोसा नहीं हो रहा है। बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को पांच सालों के लिए जनादेश दिया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दरअसल, हम नीतीश के छल-प्रपंच के बारे में लोगों को समझा नहीं सके।’’

विनम्र नीतीश ने कहा धन्यवाद, आगे और काम करेंगे

बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की शानदार जीत को प्रदेश की जनता व विकास की जीत करार देते हुए राज्य के निवर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर ठीक तरीके से गठबंधन चलाएंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में विकास की जीत हुई है और इस चुनाव ने एक नई कहानी लिखी है, जिसके परिणाम दूरगामी होंगे।
स्वयं को प्रधानमंत्री की दौडम् से बाहर करार देते हुए नीतीश ने कहा, ‘‘यह बिहार के लोगों की जीत है। इसे मैं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की जीत के रूप में नहीं देखता हूं।’’ उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों के समक्ष एक प्रश्न था कि वे आगे बढ़ेगे या फिर अंधकार युग की ओर लौटेंगे। बिहार के लोगों ने आगे बढ़ने का फैसला किया है। इसलिए यह उनकी जीत है।
पटना में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘जनता ने मुझे बिहार के काम के लायक समझा है। इस बार जबर्दस्त जनादेश दिया है। मैं इस बार बाएं-दाएं झांकने वाला नहीं हूं। उकसावे में आने वाला भी नहीं हूं। अपनी शक्ित का उपयोग राज्य के विकास के लिए करूंगा।’’
नीतीश ने कहा, ‘‘इस मौके पर मैं प्रदेश की जनता को एक ही वचन देना चाहूंगा और वह यह है कि जिस प्रकार हमने पिछले पांच सालों में मेहनत की, आने वाले दिनों में हम उससे भी ज्यादा मेहनत करेंगे। मेहनत से पीछे नहीं हटेंगे। बीच-बीच में प्रकृति भी इम्तहान लेती रहती है लेकिन हम इससे विचलित नहीं होंगे।’’
राज्य में जात-पात की राजनीति के पीछे छूटने की बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव में विकास जीत गया है। स्पष्ट है कि बिहार की जनता बिहार को तरक्की के रास्ते पर देखना चाहती है। लोगों ने मतदान में जो उत्साह दिखाया, युवाओं और खासकर महिलाओं ने जिस प्रकार आगे बढम्कर मतदान में हिस्सा लिया, इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूं।’’
उन्होंने कहा कि इस चुनाव से एक सवाल का जवाब मिल गया है कि विकास से सचमुच वोट मिलता है कि नहीं। इस चुनाव के परिणाम बिहार के बाहर की राजनीति को भी प्रभावित करेंगे।
उन्होंने पिछले दिनों की मीडिया की आलोचना करने को लेकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए कहा कि मीडिया की अपनी भूमिका है। हर किसी को अपना काम करना चाहिए। मीडिया की अनावश्यक आलोचना से बचना चाहिए।
उन्होंने बिहार की बदली फिजा पर लोगों को विश्वास करने की अपील करते हुए निर्वाचन आयोग से भी इस सच्चाई को स्वीकार करने की गुजारिश की। उन्होंने कहा कि बिहार पर विश्वास करने की जरूरत है और कम समय में भी शांतिपूर्ण और निष्पक्ष मतदान हो सकता है। उन्होंने राज्य को अलग चश्में से देखने वालों से भी आत्मचिंतन करने को कहा।
नीतीश ने अपने दूसरे कार्यकाल में भी ‘सुशासन’ पर जोर देने की बात करते हुए कहा कि वह जल्दी ही प्रधानमंत्री से मिलकर प्रदेश के विकास से जुड़े लम्बित मुद्दों पर बातचीत करेंगे। उन्होंने 2015 तक राज्य को विकसित देश बनाने का संकल्प भी दोहराया।
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के बधाई पर धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि उनकी ना काहू से दोस्ती है और ना काहू से बैर।
उन्होंने कहा कि बिहार के लोगों के सामने एक सवाल था कि क्या उन्हें विकास के पथ पर आगे बढ़ना है या फिर से पुराने अंधकार युग की ओर जाना है, बिहार की जनता ने विकास को चुना है और उनकी सरकार विकास की तरफ बढ़ने के लिए मेहनत से पीछे नहीं हटेगी।
नीतीश ने कहा कि जनता ने सभी जातीय समीकरण को नकार दिया है। उन्होंने बिना किसी पार्टी का नाम लिए हुए कहा कि अब बात बनाने का समय चला गया। अब जनता विकास चाहती है। उन्होंने कहा कि जो दल जातीय समीकरण को आधार बनाकर जीत हासिल करने का सपना संजोए थी उनको जनता ने एक सबक सिखाया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता ने जो राजग सरकार पर विश्वास दिखाया है, उससे मुझे एक विशेष जिम्मेवारी का भी आभास है। मैं उससे पीछे नहीं हटूंगा। उन्होंने कहा कि कभी-कभी प्रकृति भी परीक्षा लेती है, लेकिन उन सभी चुनौतियों से जूझना पड़ेगा।
उन्होंने महिलाओं और युवाओं में नई ऊर्जा के संचार को बनाए रखने पर बल दिया। नीतीश ने कहा कि चुनाव में उनके द्वारा दिखाए गए उत्साह को रचनात्मकता में बदलने का हर संभव प्रयत्न करेंगे।
चुनाव के बाद आत्मविश्वास लेकिन विनम्रता से लवरेज नीतीश ने कहा कि इस बार मीडियाकर्मियों को लंबे चुनावी अभियान के दौरान काफी मेहनत करनी पड़ी। उन्होंने मजाकिया लहजे में पिछली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस बार कम से कम उन्हेँ यात्रा के दौरान कम कष्टों का सामना करना पड़ा होगा। उनका इशारा उनके शासनकाल में अच्छी सड़कों के निर्माण की ओर था।
उन्होंने चुनाव आयोग का भी धन्यवाद करते हुए कहा कि बिहार बदल चुका है और अब इतने लंबे चुनावी अभियान की जरूरत नहीं है। बिहार बदल चुका है और कम समय में भी ऐसे ही निष्पक्ष चुनाव संभव हैं।
पत्रकारों द्वारा प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी पर पूछे गए एक सवाल पर नीतीश ने कहा कि मैं दाएं-बाएं देखने वालों में से नहीं हूं। मुझे जनता ने बिहार के लिए काम करने का निर्णय दिया है।





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